Shri Durga Chalisa pdf: दुर्गा चालीसा पाठ पीडीएफ डाउनलोड

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हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार दुर्गा चालीसा का पाठ करने से माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। माता दुर्गा को सनातन धर्म में सर्वश्रेष्ट सर्वशक्तिशाली बताया गया है। इन्हें आदि शक्ति के रूप में भी जाना जाता है। माँ दुर्गा के 9 रूप हैं। जिनका नवरात्रि के दिनों में विधि-विधान के साथ विशेष रूप से पूजन-अर्चन किया जाता है। प्रत्येक वर्ष माँ दुर्गा के समस्त रूपों को शारदीय एवं चैत्र नवरात्रि के दौरान भक्ति-भाव के साथ पूजा-अर्चना करने का विधान है।

इसके अलावां जो भी लोग भक्ति भाव एवं सच्ची श्रद्धा के साथ नियमित रूप में माँ दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं। उनके जीवन में माँ दुर्गा की कृपा हमेशा विद्यमान रहती है। वह हर कष्टों से मुक्त रहते हैं। अब हम आपको माँ दुर्गा से सम्बंधित कुछ विशेष बातों की जानकारी दे रहे हैं, जो इस प्रकार हैं।

Durga Chalisa pdf लिंक

प्रिय भक्तो मैंने आप के दुर्गा चालीसा pdf फाइल का लिंक निचे डाल दिया है। आप लिंक पर क्लिक कर दुर्गा चालीसा में pdf को प्राप्त करसकते है।

Durga Chalisa pdf संक्षिप्त विवरण

File Name Durga Chalisa Pdf
File TypePDF
LanguageHindi, English
CategoryReligion
No. of Pages4 Pages and 3 Page
File Size262 KB and 249 KB
File StatusActive
Uploaded ByRajesh Kushwaha

Durga Chalisa Pdf Lyrics

दुर्गा चालीसा pdf लिरिक्स हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में दे दिया गया है। आप अपने सुविधानुसार Durga Chalisa को लिरिक्स से याद कर सकते है।

Durga Chalisa Pdf Lyrics Hindi

दुर्गा चालीसा
 
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
 
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
 
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
 
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
 
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
 
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
 
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
 
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
 
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
 
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
 
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
 
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
 
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
 
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
 
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
 
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
 
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
 
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
 
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
 
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
 
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
 
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
 
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
 
परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
 
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
 
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
 
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
 
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
 
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
 
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
 
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
 
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
 
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
 
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
 
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
 
आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥
 
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
 
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
 
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
 
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
 
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

॥दोहा॥
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥
 
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

Durga Chalisa Pdf Lyrics English

Durga Chalisa

Namo Namo Durge Sukh Karani
Namo Namo Ambe Dukh Harani

Nirakar Hai Jyoti Tumhari
Tihun Lok Phaili Ujayari

Shashi Lalat Mukh Maha Vishala
Netra Lal Bhrikutee Vikarala

Roop Matu Ko Adhika Suhava
Daras Karat Jan Ati Sukh Pave

Tum Sansar Shakti Laya Kina
Palan Hetu Anna Dhan Dina

Annapurna Hui Jag Pala
Tumhi Adi Sundari Bala

Pralaya Kala Sab Nashan Hari
Tum Gauri Shiv-Shankar Pyari

Shiv Yogi Tumhre Guna Gaven
Brahma Vishnu Tumhen Nit Dhyaye

Roop Saraswati Ko Tum Dhara
De Subuddhi Rishi Munina Ubara

Dharyo Roop Narsimha Ko Amba
Pragat Bhayin Phar Kar Khamba

Raksha Kari Prahlaad Bachayo
Hiranakush Ko Swarga Pathayo

Lakshmi Roop Dharo Jag Mahin
Shree Narayan Anga Samhahin

Ksheer Sindhu Main Karat Vilasa
Daya Sindhu Deeje Man Asa

Hingalaja Main Tumhin Bhavani
Mahima Amit Na Jat Bakhani

Matangi Dhoomavati Mata
Bhuvneshwari Bagala Sukhdata

Shree Bhairav Tara Jag Tarani
Chhinna Bhala Bhav Dukh Nivarani

Kehari Vahan Soh Bhavani
Langur Veer Chalat Agavani

Kar Main Khappar Khadag Viraje
Jako Dekh Kal Dar Bhaje

Sohe Astra Aur Trishoola
Jase Uthata Shatru Hiya Shoola

Nagarkot Main Tumhi Virajat
Tihun Lok Main Danka Bajat

Shumbhu Nishumbhu Danuja Tum Mare
Rakta-Beeja Shankhan Samhare

Mahishasur Nripa Ati Abhimani
Jehi Agha Bhar Mahi Akulani

Roop Karal Kalika Dhara
Sen Sahita Tum Tin Samhara

Pari Garha Santan Par Jab Jab
Bhayi SahayaMatu Tum Tab Tab

Amarpuri Aru Basava Loka
Tava Mahima Sab Rahen Asoka

Jwala Main Hai Jyoti Tumhari
Tumhen Sada Poojan Nar Nari

Prem Bhakti Se Jo Yah Gave
Dukh-daridra Nikat Nahin Ave

Dhyava Tumhen Jo Nar Man Lai
Janam-maran Tako Chuti Jai

Jogi Sur-muni Kahat Pukari
Jog Na Ho- Bin Shakti Tumhari

Shankar Aacharaj Tap Keenhon
Kam Krodha Jeet Sab Leenhon

Nisidin Dhyan Dharo Shankar Ko
Kahu Kal Nahin Sumiro Tum Ko

Shakti Roop Ka Maram Na aayo
Shakti Gae Tab Mann Pachtayo

Sharnagat Hui Keerti Bakhani
Jai Jai Jai Jagdamb Bhavani

Bhayi Prasanna Aadi Jagdamba
Dayi Shakti Nahin Keen Vilamba

Mokon Matu Kashta Ati Ghero
Tum Bin Kaun Hare Dukh Mero

Aasha Trishna Nipat Sataven
Moh Madadik Sab Binsaven

Shatru Nash Keeje Maharani
Sumiron Ekachita Tumhen Bhavani

Karo Kripa Hey Matu Dayala
Riddhi-Siddhi De Karahu Nihala

Jab Lagi Jiyon Daya Phal Paoon
Tumhro Yash Mai Sada Sunaoon

Durga Chalisa Jo Gave
Sab Sukh Bhog Parampad Pave

‘Devidas’ Sharan Nij Jani
Karahu Kripa Jagdamb Bhavani

माँ दुर्गा चालीसा की उत्पत्ति का वर्णन

चूँकि माँ दुर्गा की उत्पत्ति के पश्चात दुर्गा चालीसा की उत्पत्ति हुई है। इस वजह से सर्वप्रथम यह जानना बहुत जरुरी है कि, माँ दुर्गा की उत्पत्ति क्यों एवं किस प्रकार से हुई। बता दें कि, तीनों लोकों के समस्त देवताओं ने अपनी शक्तियों को एकत्र कर एक आदि शक्ति की उत्पत्ति की, जिससे महिषासुर नामक राक्षस का वध किया जा सके। इन्हीं आदि शक्ति को आज तीनों लोकों में सर्वशक्तिशाली माँ दुर्गा के नाम से जाना जाता है।

माँ दुर्गा ने अतिबलशाली, अत्याचारी एवं दुराचारी राक्षस महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की थी। एवं देवराज इंद्र को उनका स्वर्गलोक वापस दिलाया था। दुर्गा चालीसा की रचयिता देवीदास जी ने की थी। जिनके बारे में बताया जाता है कि, वे आदि शक्ति माँ दुर्गा के सबसे बड़े भक्त थे। एवं उन्होंने आदि शक्ति माँ दुर्गा के सभी रूपों के साथ ही उनकी महिमा का वर्णन भी दुर्गा चालीसा में किया है। वेद पुराणों के अनुसार आदि शक्ति माता देवी दुर्गा को इस संसार का कर्ता-धर्ता भी बताया गया है। क्योंकि उनमें समस्त देवताओं के साथ ही ब्रह्मा ,विष्णु एवं महेश की भी शक्तियां समाहित हैं।

दुर्गा चालीसा पाठ के फायदे

आदि शक्ति माँ दुर्गा चालीसा का पाठ लोग विशेष तौर पर अपने जीवन के प्रत्येक समस्याओं एवं कष्टों के निवारण एवं जीवन के हर क्षण में माँ दुर्गा की कृपा पाने के लिए करते हैं। इसके अतिरिक्त दुर्गा चालीसा का नियमित तौर पर पाठ करने से होने वाले फायदे इस प्रकार है।

  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों की समस्त समस्याएँ स्वतः समाप्त हो जाती हैं। एवं संसार का कोई भी कष्ट उनके आस-पास भी नहीं भटक सकता है।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से घर में चल रही आर्थिक परेशानियां दूर होती है। एवं घर धन सम्पदा से परिपूर्ण रहता है। जिसके कारण उसकी गरीबता दूर होती है।
  • इस चालीसा का नियमित पाठ करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। और उस भक्त को सभी उचित कार्यों में सफलता हासिल होती है।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से पाप का नाश होता है। एवं व्यक्ति सदमार्ग पर चलने लगता है। उसकी बुद्धि उसे अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। जिससे उसकी समाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  • दुर्गा चालीसा का सच्चे मन से नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है। एवं उसकी समाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि के साथ ही उसकी कीर्ति चारों तरफ फैलती है।
  • दुर्गा चालीसा का सच्चे मन से ध्यान पूर्वक नियमित पाठ करने से प्रत्येक ऐच्छिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से भुत-पिशाच, जादू-टोना, नजर का दोष आदि शैतानी शक्तियों से छुटकारा मिलता है।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से पराक्रमी, तेजस्वी, यशस्वी संतान की प्राप्ति होती है।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से कठिन से कठिन कार्य भी सहजता पूर्वक संपन्न होने लगते हैं। इनके नियमित पाठ करने से भक्त इतने अधिक बलशाली, पराक्रमी एवं बुद्धिमान बन जाते हैं कि, अत्यंत कठिन कार्य को भी आसानी से पूर्ण कर लेते हैं।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से धन, ज्ञान एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। एवं नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से दाम्पत्य जीवम हमेशा खुशहाल रहता है। घर-परिवार हमेशा प्रसन्नचित रहता है। दाम्पत्य जीवन एवं परिवार में किसी चीज का आभाव नहीं रहता है। दाम्पत्य जीवन एवं परिवार में हमेशा शांति बनी रहती है। एवं आपस में मधुर सम्बन्ध होते हैं।
  • दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। एवं माँ दुर्गे की हमेशा कृपा बनी रहती है।

कैसे करें दुर्गा चालीसा का पाठ

हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा को आदि शक्ति के रूप में भी जाना जाता है। माँ दुर्गा में तीनों लोकों के समस्त देवताओं की भी शक्तियां विद्यमान हैं। अधिकतर लोग दुर्गा चालीसा का पाठ अपनी श्रद्धा एवं क्षमता के अनुसार ही करते हैं। परन्तु अगर इनका नियमित पाठ विधि -विधान से किया जाय, तो इसमें माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में दुर्गा चालीसा पाठ के कुछ विशेष नियमों के बारे में बताया गया है, जो इस प्रकार है।

  • सूर्योदय से पहले प्रातः काल उठकर स्नान आदि दैनिक क्रिया आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके पश्चात एक लकड़ी की चौकी को लेकर उस पर गंगा जल छिड़ककर उसे शुद्ध करें।
  • अब उस चौकी पर स्वच्छ लालरंग का वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर माँ दुर्गा की प्रतिमा अथवा फोटो स्थापित करें।
  • इसके बाद माँ दुर्गा की प्रतिमा अथवा फोटो पर गंगा जल छिड़कें।
  • इसके बाद माँ दुर्गा की धूपबत्ती, कपूर, चन्दन, दीप, फूल, रोली इत्यादि से पूजा अर्चना करें। एवं माँ दुर्गे को भोग लगाएं।
  • अब माँ दुर्गे की आरती करें।
  • अंत में माँ दुर्गे की प्रतिमा के सामने हाथ जोड़कर सच्चे ह्रदय के साथ माँ दुर्गे से प्रार्थना करते हुए उनका आशीर्वाद लें। एवं सभी को प्रसाद दें।

दुर्गा चालीसा का महत्त्व

हिन्दू धर्म में चैत नवरात्रि का त्योहार एक पावन पर्व के रूप में पुरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के पावन 9 दिनों में आदिशक्ति माँ दुर्गा के भिन्न-भिन्न स्वरूपों की पूजा कर भक्त माता को प्रसन्न करते हैं। एवं उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

ऐसी मान्यता है कि, जो भी सच्ची श्रद्धा-भक्ति के साथ माँ दुर्गे की शरण में जाता है, उनकी पूजा-अर्चना करता है। माँ दुर्गा उनके समस्त कष्टों का निवारण करती है। नवरात्रि के दिनों में भक्तगण व्रत रखते हैं। एवं सुबह-शाम उनका पाठ कर उनकी आरती करते हैं। एवं उन्हें भोग लगाते हैं।

माँ दुर्गा की पूजा चालीसा के बिना अधूरी मानी जाती है। नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का पाठ करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। घर परिवार में खुशहाली बनी रहती है। घर धन सम्पदा से परिपूर्ण रहता है। माँ दुर्गे की उत्पत्ति का मूल उद्देश्य धर्म की रक्षा एवं संसार में अन्धकार का नाश करना है।

पुराणों के अनुसार नियमित रूप से विशेषकर नवरात्रि के दिनों में दुर्गा चालीसा का पाठ करना सर्वोत्तम माना गया है। और जो भक्त नवरात्रि में व्रत रखते हैं, वे प्रतिदिन सुबह शाम दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं।

Durga Chalisa का सारांश

इस प्रकार हिन्दू धर्म में नवरात्र के दिनों में दुर्गा चालीसा का विशेष महत्त्व है। कोई भी भक्तगण अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें। ऐसी मान्यता है कि, नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का पाठ करने से माँ दुर्गा जल्दी प्रसन्न होती हैं। और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।