Nag Panchami: क्या आप को पता है नाग पंचमी के दिन क्यों की जाती है गुड़िया की पिटाई

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि पर नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। नाग पंचमी का यह पवित्र त्योहार 9 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। नाग पंचमी के दिन भगवान् भोलेनाथ के साथ उनके गले में लिपटे रहने वाले नाग देवता की विधि -विधान के साथ पूजा की जाती है।

सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कुछ स्थानों पर नागपंचमी काफी अलग तरह से मनाई जाती है। एक ऐसी ही अनोखी परम्परा उत्तर प्रदेश में निभाई जाती है। वास्तव में उत्तर प्रदेश में नाग पंचमी के पर्व पर गुड़िया पीटने का रिवाज है। जो की काफी अदभुत है। आइये जाने इसकी वजह क्या है।

रिवाज गुडिया पीटने का

नाग पंचमी के पावन पर्व पर उत्तर प्रदेश में एक अदभुत रिवाज का पालन किया जाता है। इस दिन उत्तर प्रदेश में कृत्रिम रूप से तैयार की गयी गुड़िया को पीटा जाता है। इसके पीछे अनेक कथाएं प्रचलित हैं।

गुड़िया पीटने की कथा

गुड़िया पीटने के रिवाज से संबंधित एक कथा प्रचलित है। जो इस प्रकार है।

प्रथम कथा

राजा परीक्षित की मृत्यु नाग के डसने से हुई थी। कई सालों के पश्चात तक्षक की चौथी पीढ़ी की कन्या की शादी राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में हुई थी। शादी के पश्चात उसने एक दासी को अपने अतीत का राज बता दिया। कन्या ने दासी से कहा कि, ये बात वो किसी को न बताये। परन्तु दासी से रहा नहीं गया। और उसने यह बात दूसरी दासी को बता दी। इस प्रकार ये बात फैलते-फैलते पुरे राज्य में फ़ैल गयी।

जब राजा तक्षक को ये बात पता चली, तो वे क्रोधित हो उठे। उन्होंने राज्य की समस्त स्त्रियों को चौराहे पर एकत्र होने का आदेश दिया। इसके बाद कोड़ों से पिटवा कर उन्हें मरवा दिया। राजा को क्रोध इस बात का था कि, महिलाओं के पेट में कोई बात पचती नहीं। एवं इस कारण से उनकी पीढ़ी से सम्बंधित अतीत की कहानी पुरे राज्य में फ़ैल गयी। कहा जाता है कि, यहाँ तभी से गुड़िया पीटने का रिवाज शुरू हुआ।

दूसरी कथा

एक अन्य कथा जो भगवान् भोलेनाथ के एक भक्त से सम्बंधित है के अनुसार, भगवान् भोलेनाथ का एक सच्चा भक्त प्रत्येक दिन भगवान् भोलेनाथ के मंदिर जाकर पूजा करता था, एवं नाग देवता के दर्शन करता था। भक्त रोजाना नाग देवता को दूध पिलाता था।

धीरे-धीरे दोनों में काफी लगाव हो गया। नाग देवता को भक्त से इतना प्रेम हो गया था कि, वे उसे देखते ही अपनी मणि छोड़कर उसके पैरों से लिपट जाते थे। एक दिन वो भक्त श्रवण मास में अपनी बहन के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए आया। हमेशा की तरह नाग उस भक्त को देखते ही उसके पैरों से लिपट गया।

ये दृश्य देखकर उसकी बहन बहुत डर गयी। उसे लगा कि, नाग उसके भाई को काट लेगा। यह सोचते हुए बहन ने भाई के प्राणों की रक्षा के लिए उस नाग को पीट-पीट कर मार डाला। इसके पश्चात जब उस भक्त ने अपनी बहन को अपनी एवं नाग की सारी कहानी बताई, तो वह विलाप करने लगी।

वहां मौजूद लोगों ने कहा, नाग भगवान् का रूप होते हैं। उन्हें तुमने मार डाला। इसका तुम्हे दंड मिलना चाहिए। वैसे यह पाप अनजाने में हुआ था। इस कारण भविष्य में आज के दिन लड़की की जगह कृत्रिम गुड़िया पीटने का रिवाज आरम्भ हुआ।

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