Ganpati ji ki aarti pdf: गणपति जी की आरती लिरिक्स pdf

ऐसा माना जाता है कि, भगवान् गणपति जी का जन्म भाद्रपक्ष माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथी को हुआ था। इस तिथि को गणपति जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य, शुभ कार्य या पूजा-पाठ की शुरुआत भगवान गणपति की पूजा से की जाती है। Ganpati ji ki aarti pdf (गणपति जी की आरती लिरिक्स pdf) को प्राप्त करने के लिए निचे दिये लिंक पर क्लिक कर प्राप्त कर सकते है।

हिन्दू धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व विशेष महत्व रखता है। इस दिन प्रथम पूज्य भगवान गणपति जी की पूजा-अर्चना की जाती है। अगर गणेश चतुर्थी के पर्व परभगवान् गणपति जी की विशेष कृपा पाना चाहते हैं, तो इनकी आरती करना कदापि न भूलें। इसके बिना कोई भी पूजा अधूरी समझी जाती है।

सनातन धर्म के अनुसार, भगवान गणपति प्रथम पूज्य हैं। बुधवार के दिन गणपति जी की पूजा-आरती करने से समस्त संकट परेशानियां, कष्ट, भय इत्यादि नष्ट हो जाते हैं। एवं भगवान् गणपति की कृपा हमेशा बनी रहती है। ऐसा माना जाता है कि, इनकी आरती करने से व्यक्ति को पूजा एवं व्रत का सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है।

Ganpati ji ki aarti pdf लिंक

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Ganpati ji ki aarti pdf संक्षिप्त विवरण

File Name Ganpati ji ki aarti Pdf
File TypePDF
LanguageHindi
CategoryReligion
No. of Pages3 Pages
File Size575 KB
File StatusActive
Uploaded ByRajesh Kushwaha

Ganpati ji ki aarti in Hindi Pdf Lyrics

Ganpati ji ki aarti निचे डाल दिया गया है आप सभी भक्तों से उम्मीद करता हूँ की आप लोग रोज गणपति जी की आरती लिरिक्स से गणेश भगवान की पूजा करेगा।

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥

कैसे की जाती है गणपति जी की पूजा

भगवान् गणपति जी की पूजा करने के लिए प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। इसके पश्चात पूर्व या उत्तर की तरफ मुख करके बैठकर पूजा आरम्भ करें। भगवान् गणपति को धुप, दीप, फूल, मोदक, चन्दन, रोली, मौली लाल इत्यादि चढ़ाएं। इसके पश्चात गणपति बप्पा को रोली से तिलक लगाएं। भगवान् गणेश जी को दूर्वा अवश्य चढ़ाएं। इसके पश्चात गणेश आरती आरम्भ करें। एवं उनके मन्त्रों का जाप करें।

गणपति पूजा में किन-किन सामग्रियों की आवश्यकता होती है

भगवान् गणपति जी की पूजा भाद्रपक्ष मॉस के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथी को करने का विधान है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणपति जी का जन्म हुआ था। भगवान् गणेश, गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्थी तक अपने भक्तों के बीच रहते हैं, एवं उन्हें अपनी पूजा-आरती करने का अवसर प्रदान करते हैं। जिससे वो अपने भक्तों को अपनी विशेष कृपा प्रदान कर सकें। महापर्व के इस समय में गणपति भगवान् की पूजा-आरती करने से समस्त संकट, परेशानियां दूर हो जाती हैं। और भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती हैं।

अपने घर को साफ़ सुथरा एवं स्वच्छ रखें। आप जितनी स्वछता, शांति एवं शुद्धता रखेंगे। गणपति बप्पा उससे कहीं अधिक उन्नति प्रदान करेंगे। भगवान् गणपति के स्थापना के स्थान को हमेशा स्वच्छ एवं शुद्ध रखें। एवं स्वच्छ जल से धोकर गंगाजल छिड़कें।

कुमकुम से बिलकुल उचित व्यवस्थित स्वास्तिक बनाएं। हल्दी का 4 टिका लगाएं। फिर एक मुट्ठी अक्षत रखकर इसके ऊपर चौकी, पाटा या छोटा बाजोट रखें। एवं उस पर पीला, केसरिया या लाल वस्त्र बिछाएं। पूजा स्थल को प्रकाश से सुसज्जित करें। चारों ओर आम के पत्ते, रंगोली, फूल एवं अन्य सामग्री के साथ स्थान को सुन्दर एवं भव्य बनाएं।

पूजा स्थल के समीप इतनी जगह जरूर रखें कि, दीप, धुप, आरती की पुस्तक, प्रसाद एवं अगरबत्ती रखी जा सके। आरती में पूरे परिवार को शामिल होना चाहिए। अतः किसी ऐसे स्थान पर गणेश जी की स्थापना करें, जहां सब लोग एक साथ एकत्र हो सकें। एवं एक ताम्बे का एक स्वच्छ लोटा जिसमे शुद्ध जल भरा हो, नारियल एवं आम के पत्ते के साथ सजाएं। एवं गणेश महोत्सव प्रारम्भ होने के पहले यह समस्त तैयारियां पूरी कर लें।

गणपति बप्पा को लेने जाते समय नया एवं शुद्ध वस्त्र पहन कर जाएँ। पुरुष सर पर रुमाल, टोपी या साफा रखें। एवं स्त्रियां आकर्षक वस्त्र के साथ समस्त गहने धारण करें। महकने वाला गजरा एवं आखों में काजल लगाएं। अगर संभव हो तो सोना या चाँदी की थाली साथ लेकर जाएँ, अगर संभव नहीं है तो, तो पीतल अथवा ताम्बे की थाल लेकर जाएँ। लकड़ी का वस्त्र से सुसज्जित पाटा सबसे आसान है। साथ में झांझ-मजीर, मधुर स्वर का घंटा, खड़ताल लेकर जा सकें तो काफी अच्छा होगा।

इसके पश्चात भगवान् गणेश को घर पर लाकर घर की मुखिया दरवाजें पर रोकें। एवं स्वयं अंदर आकर पूजा की थाली से उनकी आरती करें। उनके लिए शुद्ध एवं उत्तम मंत्रोच्चारण करें। एवं आदर-सम्मान के साथ गणपति बप्पा को घर के अंदर उनके लिए तैयार किये गए स्थान पर जय-जयकार के साथ शुभ मुहूर्त में स्थापित करें। परिवार के समस्त सदस्य मिलकर कपूर से आरती करें। पूरी थाली का भोजन परोस कर भोग लगाएं। लड्डू या मिठाई अवश्य खिलाएं। पंचमेवा भी रखें। एवं रोजाना प्रसाद के साथ पंचमेवा अवश्य रखें।

पूजा करने का तरीका

सबसे पहले ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः। कहकर हाथ में जल लेकर 3 बार आचमन करें, , एवं ॐ ऋषिकेशाय नमः कहकर हाथ धो लें। इसके बाद दंडवत प्रणाम करें। एवं शरीर शुद्धि निम्न मन्त्रों द्वारा करें। (मंत्र पढ़ते हुए सभी तरफ जल छिड़कें) ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोSपिवा। यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचिः।।

क्या सावधानियां रखें

  • गजानन के बाएं हाथ की ओर जल से भरे हुए कलश के ऊपर गेहूं व चावल रखें।
  • धुप या अगरबत्ती जलाएं।
  • कलश के मुख पर मौली बांधें एवं आम के पत्ते के साथ एक नारियल उसके मुख पर रखें।
  • नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखें। चन्दन एवं घी को तांबे के कलश पर न रखें।
  • गणपति जी के स्थान के दाहिने हाथ की तरफ देशी घी का दीपक एवं दक्षिणावर्ती शंख रखें।
  • सुपारी भी रखें।

पूजा को आरम्भ करते समय हाथ में अक्षत, जल एवं फुल लेकर स्वस्तिवाचन, गणपति स्मरण एवं समस्त देवताओं का सच्चे ह्रदय के साथ ध्यान करें। इसके पश्चात अक्षत एवं पुष्प चौकी पर स्थापित करें। इसके पश्चात भगवान् गणपति का आवाहन करें। गणपति आवाहन के पश्चात कलश की पूजा करें। कलश चौकी के बायीं तरफ या उत्तर-पूर्वी दिशा की तरफ स्थापित करें। कलश पूजन के पश्चात दीप पूजन करें। इसके पश्चात षोडशोपचार के द्वारा गणपति जी की पूजा करें। विधि-विधान के साथ पूजा एवं आरती करें।

गणपति आरती के फायदे

सनातन धर्म में श्री गणपति बप्पा को प्रथम पूज्य माना गया है। श्री गणपति को विध्नहर्ता भी कहा जाता है। श्री गणपति जी को बुधवार का दिन समर्पित है। इसलिए बुधवार के दिन जो भी व्यक्ति गणेश जी की पूजा-आरती करता है। उसे भगवान् गणपति जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

  • भगवान् गणपति जी की आरती से भाग्य साथ देने लगता है। एवं धन लाभ भी होता है।
  • भगवान् श्री गणपति जी की आरती से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • भगवान् श्री गणपति जी की आरती से ज्ञान एवं बुद्धि का विकास होता है।
  • भगवान् श्री गणपति जी की आरती करने से माता लक्ष्मी की कृपा निरंतर बनी रहती है।
  • भगवान् श्री गणपति जी की आरती से व्यक्ति के व्यवहार में धैर्य का संचार होता है।
  • भगवान् श्री गणपति जी की आरती से सुख-समृद्धि का वास होता है। भगवान् श्री गणपति जी की आरती से व्यक्ति अपने कार्य में सफलता प्राप्त करता है, एवं उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ता रहता है।

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